Tuesday, 29 January 2019

निशा जामवाल और डिटेल फ़ाउंडेशन ने अविकसित गावों जोड़ने का उठाया बीड़ा.


निशा जामवाल ने डिटेल् फाउंडेशन के संस्थापक योगेश भाटिया के लिए सुक में एक लंच और पैनल डिस्कशन आयोजित किया डिटेल फाउंडेशन के पहल  40 करोड़ भारतीयों और अविकसित गांवों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। निशा जामवाल और योगेश भाटिया के साथ अनु मलिक, रंजीत, मृणालिनी देशमुख, अनूप जलोटा, अमृता रायचंद और एमी बिलिमोरिया ने अपनी उपस्थिति दर्शायी।

मूक-बधिर बच्चों के साथ रोबोटिक्स वर्कशॉप जोश फ़ाउंडेशन-टीम लुमिनोसिटी की पहल


शिक्षा के क्षेत्र में एक नयी क्रांति देखी जा रही है. IGCSE स्कूलों के विभिन्न छात्र रोबोटिक्स से जुड़ी कार्यशालाओं (वर्कशॉप्स) में गहन रूचि दिखा रहे हैं. अपने पाठ्यक्रम के मुताबिक ऐसे स्कूलों के तमाम छात्रों के लिए ये अनिवार्य कर दिया गया है कि उन्होंने जो भी सीखा है, उसे ग़ैर-सरकारी संगठनों के साधनविहिन बच्चों को पढ़ाएं और सिखाएं.

माना जा रहा है कि दुनिया का भविष्य रोबोट-केंद्रित होनेवाला है. ऐसे में टीम लुमिनोसिटी ने जोश फ़ाउंडेशन के साथ मिलकर 'आवर ऑफ़ रोबोटिक्स वर्कशॉप' का आयोजन किया, जो कि दोनों का साझा रूप से पहला प्रयास था. दोनों को उम्मीद है कि वो आगे भी इसी तरह के और इससे भी आधुनिक कार्यशालाओं का आयोजन करते रहेंगे. ऑडियोलॉजिस्ट और स्पीच थेरेपिस्ट देवांगी दलाल का कहना है, "अगर बच्चों को रास आया तो ऐसे और कई आयोजन किए जाएंगे." लेगो माइंड स्टॉर्म्स ईवी3 किट्स के इस्तेमाल के ज़रिए उनका ध्येय समाज को सीखा हुआ वो सब लौटाना है जो उन्होंने अपनी ट्रेनिंग के दौरान हासिल किया है

बच्चोंके उत्थान और विकास के लिए जोश फ़ाउंडेशन नामक ग़ैर-सरकारी संगठन की स्थापना ईएनटी स्पेशलिस्ट जयंत गांधी ने देवांगी दलाल के साथमिलकर की थी. दोनों का एक उद्देश्य मात्र एक है और वो है विकलांग (डिफ़रेंट्ली एबल्ड) बच्चों की बेहतरी और उनका सशक्तिकरण.

ईएनटी स्पेशलिस्ट जयंत गांधी ने कहा, "हम हर तरह से उनकी मदद की कोशिश कर रहे हैं. साइंस समग्र रूप से बच्चे की प्रगति और विकास में सहायक सिद्ध होता है. मूक-बधिर बच्चों को भी इस बात का पता चलना चाहिए कि रोबोटिक्स और मशीन्स किस तरह से संचालित होते हैं."

देवांगी दलाल ने कहा, "शिक्षा और सीएसआर में संतुलन एक-दूसरे के पूरक हैं. उनके लिए सिक्के का ये एक पहलू है. दूसरी तरफ़ मूक-बधिर बच्चों ने कभी भी निजी तौर पर रोबोटिक्स मशीन्स का अनुभव हासिल नहीं किया है. ऐसे बच्चों ने उन्हें टीवी पर ज़रूर देखा होगा, मगर निजी तौर पर उन्हें महसूस करने का मौका इन बच्चों को कभी नहीं मिला."


टीम लुमिनोसिटी के एक प्रतिनिधि ने कहा, "हमारी टीम में 8 छात्र हैं, जिनकी उम्र 12-14 साल है और ये सभी रोबोटिक्स की दुनिया से गहरे तक प्रभावित हैं. हम इस साल फ़रवरी महीने में होनेवाले फ़र्स्ट टेक चैलेंज में हिस्सा लेंगे." उन्होंने आगे कहा, "हमारा नज़रिया है कि कल का भविष्य कहलाए जानेवाले सभी बच्चों को शिक्षा हासिल हो और उन्हें तमाम तरह की जानकारियां उपलब्ध हों."

ये वर्कशॉप इस लिहाज़ से कामयाब साबित हुआ कि बच्चों को रोबोटिक्स और मशीन्स की दुनिया के बारे में काफ़ी कुछ और वो विस्तार से जानने का मौका मिला.