इस मौके पर उत्साहित पंडित हृदयनाथ मंगेशकर ने गर्व के साथ कहा, "गव्वये खव्वये भी होते है ।।।", संगीतकारों के लिए शब्दशः या तो पेटू रसोइये हैं या वे आम तौर पर खाना पसंद करते हैं !"
इस नए रेस्त्रो की ख़ुशी व्यक्त करते हुए, मंगेशकर परिवार के एक रिश्तेदार ने कहा, "बाबा स्वयं एक नियंत्रित खानेवाले हैं, लेकिन वे लोगों के हर रंग स्वाद को समझते हैं।" हृदयनाथ मंगेशकर ने कहा, "लोगों को उनके पसंदीदा भोजन को परोसना यह एक बेहद ही सुखद एहसास है। सर्जा प्यार की अच्छाई की मिठास है! "
अपने भारतीय, ओरिएंटल और चीनी व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध, वाकाड में खुला यह नया सर्जा लता दीदी के प्रशंसकों को आश्चर्यचकित करने के लिए तैयार है ! स्वरकोकिला लता मंगेशकर को समर्पित एक विशेष मेनू के साथ, शाकाहारी और मांसाहारी विकल्पों में थाली पेश की जाएगी।
सर्जा, जिसका अर्थ मराठी में उगता हुआ सूरज है। इस नाम का सुझाव स्वय: भारत रत्न लता मंगेशकर ने किया है, इस रेस्तरां की साज सज्जा मंगेशकर परिवार के दुर्मिळ स्मरण चिन्हो से की है। जिसे १२,००० वर्ग फीट की संपत्ति पर ४४० डाइनिंग सीट के साथ पारिवारिक वातावरण पूर्ण सर्जा रेस्तरां और बार में प्रशंसक इस स्मृतियों को रूबरू होकर देख सकते है। सिर्फ इतना ही नहीं, भ्याव समारोहों के लिए एक परिपूर्ण भोज स्थल भी है।
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